अल्जाइमर रोग दुनियाभर में तेजी से बढ़ते न्यूरोलॉजिकल विकारों में से एक है। इसे डेमेंशिया का सबसे सामान्य प्रकार भी माना जाता है। आंकड़ों के मुताबिक अकेले अमेरिका में हर साल इस रोग के 5 मिलियन (50 लाख) मामले सामने आते हैं, विशेषज्ञों को आशंका है कि साल 2060 तक इसके सालाना मामलों में लगभग तीन गुना तक की वृद्धि हो सकती है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए अल्जाइमर रोग के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 21 सितंबर को ‘वर्ल्ड अल्जाइमर डे’ मनाया जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि इस रोग के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाकर उन्हें सुरक्षित रहने में मदद की जा सकती है।
अल्जाइमर रोग एक न्यूरोलॉजिकल विकार है जिसमें मस्तिष्क की कोशिकाएं मृत होने लगती हैं, कई मामलों में मस्तिष्क में सिकुड़न की भी समस्या हो सकती है। इस जटिलता के कारण लोगों में याददाश्त संबंधी समस्याओं के साथ संज्ञानात्मक क्षमता में कमी आ सकती है। अल्जाइमर रोग के कारण लोगों का दैनिक जीवन भी प्रभावित हो सकता है।
मृत्यु का भी कारण बन सकता है अल्जाइमर रोग
अमेरिका स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन एजिंग के अनुसार, अल्जाइमर रोग देश में मृत्यु के छठे प्रमुख कारणों में से एक है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक मस्तिष्क में प्लाक और टैंगल के कारण लोगों में इस समस्या का खतरा बढ़ जाता है। कुछ स्थितियों में यह भी देखने को मिला है कि मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाओं के बीच आपसी समन्वय में क्षति के कारण भी यह समस्या हो सकती है। डॉ सौरभ बताते हैं, अल्जाइमर रोग की समस्या वैसे तो 60 साल से अधिक आयु वाले लोगों में ज्यादा देखी जाती रही है, हालांकि कम उम्र के लोगों में भी यह विकार हो सकता है, इसलिए सभी लोगों को इससे सावधान रहना चाहिए।
अल्जाइमर के लक्षण-
डॉ सौरभ बताते हैं, लोगों में याददाश्त संबंधी समस्याओं को अल्जाइमर रोग का प्रमुख लक्षण माना जाता है। रोगियों को हाल की घटनाओं को याद करने, चीजों को रखने के बाद भूल जाने, हाल ही में मिले लोगों के नाम न याद आने जैसी समस्या हो सकती है। रोग के बढ़ने के साथ इसके लक्षण गंभीर हो सकते हैं, जोकि ज्यादा खतरनाक माने जाते हैं।
- चीजों को भूलना.
- सोचने-समझने में मुश्किल होना.
- खासतौर पर शाम के समय मानसिक रूप से भ्रमित होना.
- एकाग्रता में कमी, नई चीजे…
- लोगों को पहचानने में मुश्किल होना.
- सुरक्षा और जोखिमों की समझ न होना।
- समस्याओं में निर्णय लेने में कठिनाई महसूस होना।
- अवसाद, उदासीनता और समाज से दूरी बना लेना।
- चिड़चिड़ापन और सोने की आदतों में बदलाव।
- पहले की तुलना में अधिक बार बात-बात पर परेशान या क्रोधित होना।
- उन गतिविधियों में रुचि न लेना जो आमतौर पर आनंद देती हैं।