सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस गर्दन में स्थित रीढ़ की हड्डियों में लम्बे समय तक कड़ापन होने, गर्दन तथा कंधों में दर्द तथा जकड़न के साथ सिर में दर्द होने की स्थिति को कहते हैं। यह दर्द धीरे-धीरे कंधे से आगे बाहों तथा हाथों तक बढ़ जाता है। गर्दन दर्द को ही सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस कहा जाता है। मगर, इस दर्द को दूर करने के लिए दवाओं पर निर्भर रहना उचित नहीं है इसके लिए योग का अभ्यास बेहतर विकल्प हो सकता है।
जब स्पोंडिलोसिस के लक्षण पैदा होते हैं, तो आम तौर पर उनमें कभी-कभार दर्द और अकड़न आदि जैसे लक्षण शामिल होते हैं। स्पोंडिलोसिस अगर गर्दन की हड्डी में है तो उसे सर्विकल स्पोंडिलोसिस (cervical spondylosis) कहा जाता है। स्पोंडिलोसिस परिवर्तन रीढ़ की हड्डी के अन्य क्षेत्रों (खंडों) या पीठ के निचले हिस्से में भी देखे जा सकते हैं। उम्र के साथ-साथ लोगों में स्पोंडिलोसिस होने की संभावना बढ़ जाती है। 70 की उम्र के बाद रीढ़ की हड्डी के एक्स-रे में थोड़े बहुत स्पोंडिलोसिस के लक्षण दिख जाते हैं।
सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के लक्षण
सर्विकल स्पोंडिलोसिस के लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:
- गर्दन में दर्द व अकड़न
- सिर में दर्द जो गर्दन से शुरू होता है
- बाजू और कंधों में दर्द
- पूरी तरह से गर्दन को घुमाने या मोड़ने में अक्षमता
- कई बार ड्राइविंग करते समय भी यह हस्तक्षेप करता है
- गर्दन घुमाने पर पिसने जैसी आवाज या संवेदना महसूस होना
- टांग, बाजू, पैर और हाथ में सुन्नता, झुनझुनी और कमजोरी महसूस होना
- समन्वय में कमी और चलने में कठिनाई,
- असामान्य रिफ्लेक्सिस (अनैच्छिक क्रिया)
- मूत्राशय और आंत्र पर से नियंत्रण खोना
एक्सरसाइज –
गर्दन को दाएं-बाएं घुमाने में दर्द या जकड़न, सिरदर्द के साथ चक्कर आना सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के लक्षण हैं। ऐसे में रोगी को उठने-बैठने व चलने-फिरने में भी दिक्कत होती है। हाथ, पैर का अधिक इस्तेमाल करने पर दर्द बढ़ जाता है।
व्यायाम करें : समतल बिस्तर का प्रयोग करें। सिर को दाएं-बाएं, बाएं-दाएं और गोलाकार रूप में घुमाएं। सीधे खड़े होकर दोनों कंधों को सामने से पीछे की ओर गोलाकार घुमाने से लाभ मिलता है। नाक में दो-दो बूंद गोघृत सुबह-शाम डालें। हड्डी से जुड़ी परेशानियों को दूर करने में गिलोय-आंवला का प्रयोग लाभदायक है।