एंकायलूजिंग स्पॉन्डिलाइटिस हड्डियों से संबंधित रोग है जिसमें मुख्य रूप से रीड और कूल्हे की हड्डियों में भारी दर्द महसूस होता है। डॉक्टर सौरभ शर्मा इसे आर्थराइटिस (गठिया) का ही एक प्रकार बताते हैं, जिसमें रीढ़ की हड्डी से लेकर गर्दन तक दर्द होता है। ये शिकायत टीनएजर से ही शुरू हो जाती है। इस दर्द की चुभन इतनी भयानक होती है कि एक अच्छा खासा युवक दुर्बल बन जाता है।
इस समस्या के चलते कई लोग न ठीक से बैठ पाते हैं और न ही अपने कार्यों को आसानी से कर पाते हैं। दर्द झेलने के कारण इस रोग का मरीज डिप्रेशन का शिकार भी हो सकता है। एंकायलूजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के कारण मनुष्य के शरीर में फ्लेक्सिबिलिटी खत्म हो जाती है। इस बीमारी में पीठ और गर्दन में हमेशा ही दर्द रहता है जिसके चलते पसलियां भी प्रभावित होती हैं। इस कारण कभी-कभी सांस लेने में भी कठिनाई होती है।
दुनिया में 0.1 प्रतिशत से लेकर 1.4 प्रतिशत लोग एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (एएस) की बीमारी से पीड़ित हैं। मई माह के पहले शनिवार को वर्ल्ड एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस डे मनाया जाता है।इस बार यह चार मई को एएस-डे है। एएस एक इंफ्लेमेटरी और ऑटोइम्यून बीमारी है। यह मुख्य रूप से रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करती है। अगर किसी को यह बीमारी है तो उसकी कमर, पेल्विस और नितंबों में दर्द शुरु हो जाता है। वैसे यह बीमारी पूरे शरीर को ही प्रभावित कर सकती है। पूरी दुनिया में इसके मरीजों का प्रतिशत भले ही छोटा नजर आ रहा हो, लेकिन 100 में से लगभग एक वयस्क इस क्रॉनिक स्थिति से ग्रसित हैं।इस बीमारी में हड्डियां आपस में गुंथ जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप रीढ़ की हड्डी सख्त हो जाती हैं। शोध बताता है कि एएस की पहचान होने में आमतौर पर औसतन 7 से 10 साल लग जाते हैं।
इस बीमारी के शुरुआती चरण में, मरीज को अक्सर कमर दर्द की शिकायत रहती है। बहुत से लोग इसे सामान्य दर्द मानकर ईलाज नहीं कराते हैं। यही वजह है कि इस बीमारी की पहचान में देरी हो जाती है। मरीज दर्द निवारक गोलियां खाते रहते हैं। उन्हें यह मालूम ही नहीं होता कि वे एएस से ग्रसित हो चुके हैं। यदि आपको एएस होने का पता चलता है तो शुरु में रूमेटोलॉजिस्ट की मदद ली जा सकती है। इसमें एनएसएआईडी (नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेंटरी दवाएं) शामिल होती हैं। आगे जाकर रोग में सुधार वाली दवाएं या टीएनएफ ब्लॉकर्स जैसी बायोलॉजिक्स दे सकते हैं। इससे बीमारी के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। उसके बाद हड्डियों के आपस में गुंथ जाने के समय को आगे बढ़ाया जा सकता है।
एंकायलूजिंग स्पॉन्डिलाइटिस बीमारी के लक्षण :
डॉक्टर सौरभ शर्मा के अनुसार, जीन, संक्रमण, पर्यावरणीय कारक आदि एक व्यक्ति को एंकायलूजिंग स्पॉन्डिलाइटिस का शिकार बनाते हैं। इसके लक्षण (symptoms) का पता तब लगता है जब आपको गर्दन के निचले हिस्से से लेकर पीठ के निचले तक दर्द महसूस होता है जिसके चलते आप इन अंगों का ठीक से मूवमेंट भी नहीं कर सकते हैं। लगातार रीढ़ की हड्डी, कमर में दर्द, गर्दन में अकड़न आने और कूल्हों में दर्द होन ने ज्यादा देर तक बैठने में परेशानी होती है। इस बीमारी में चपेट में आने वाले मरीज ज्यादा देर कर खड़े भी नहीं हो सकते हैं। इन रोगियों को फिजिकल वर्क करने में कठिनाई आती है।