आज के इस आधुनिक दौर में, जहां हम कई सारी उपलब्ध्यिां हासिल कर चुके हैं, वहीं हमें इसके नुकसान भी उठाने पड़ रहे हैं। कंप्यूटर और मोबाइल के दौर में घंटों एक की जगह बैठे रहना या गलत अवस्था (Posture) में बैठना व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक साबित हो सकता है। जैसे कि बात की जाए कमर से जुड़ी परेशानियों की, कई लोगों में स्लिप डिस्क (Slip disc) की समस्या देखने को मिल रही है। कुछ समय पहले तक इसका प्रभाव ज़्यादातर बढ़ती उम्र में देखने को मिलता था। लेकिन आज युवा वर्ग भी इसकी चपेट में आ रहा है।
आखिर क्या है स्लिप डिस्क?
इसे हर्निएटेड डिस्क (herniated disk) के नाम से भी जाना जाता है। हमारी रीढ़ की हड्डी (spinal cord) शरीर के महत्त्वपूर्ण भागों में से एक है जो विभिन्न तरीकों से हमें सहायता प्रदान करती है। यह हमारे शरीर के महत्त्वपूर्ण भागों में से एक है। हमारी रीढ़ की हड्डी में कुल 33 कशेरूका (vertebrae) की उपस्थिति होती है। इन्हें सहारा देने के लिए छोटी गद्देदार डिस्क रहती हैं। ये डिस्क रबड़ की तरह होती हैं जो हमारी रीढ़ की हड्डी को झटकों से बचाने और उसे लचीला रखने में मदद करती हैं। हर डिस्क में दो तरह के भाग होते हैं। एक आंतरिक भाग जो नरम होता है और दूसरा बाहरी रिंग जो कठोर होती है। जब बाहरी रिंग कमज़ोर पड़ने लगती है तो आंतरिक भाग को बाहर निकलने का रास्ता मिल जाता है। इसी स्थिति को स्लिप डिस्क के नाम से जाना जाता है। इस तरह की परेशानी रीढ़ की हड्डी के किसी भी भाग में उत्पन्न हो सकती है। लेकिन आमतौर पर इसका प्रभाव पीठ के निचले हिस्से में देखने को मिलता है।
इसके अलावा, मोटापे से पीड़ित लोगों में भी स्लिप डिस्क का जोखिम ज्यादा रहता है. डॉक्टर्स कहते हैं कि कमजोर मांसपेशियां और सुस्त लाइफस्टाइल भी कमर में स्लिप डिस्क के लिए जिम्मेदार हो सकता है. जैसे-जैसे इंसान की उम्र बढ़ती है, स्लिप डिस्क का खतरा भी बढ़ता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ-साथ डिस्क अपने प्रोटेक्टिव वॉटर कंटेंट को खोने लगती है. परिणामस्वरूप, डिस्क बड़ी आसानी से अपनी जगह से खिसक सकती है. महिलाओं से ज्यादा पुरुषों में ये दिक्कत ज्यादा देखने को मिलती है.
- शरीर के एक हिस्से में लगातार दर्द रहना
- दर्द का हाथ और पैरों की तरफ फैलना
- रात में अचानक दर्द बढ़ जाना
- खड़े होने या चलने पर अधिक दर्द होना
- डिस्क के हिस्सों में झनझनाहट और जलन महसूस होना
- मांसपेशियों में कमजोरी
- ज्यादा देर तक एक ही जगह पर न बैठें
- नियमित रूप से व्यायाम करें
- रोजाना चलने का प्रयास करें
- साइकिलिंग और स्विमिंग भी कर सकते हैं
- आवश्यकता से अधिक कार्य करने से बचें
- भारी सामान उठाने से बचें
- वजन को नियंत्रण में रखें
- रोजाना पोषण युक्त खाद्य पदार्थ खाएं