क्या है स्पाइनल स्ट्रोक
जब स्पाइनल कॉर्ड की ओर रक्त का प्रवाह बाधित होता है तो उसे स्पाइनल स्ट्रोक कहते हैं। इसके ठीक प्रकार से काम करने के लिए पर्याप्त मात्रा में रक्त का सप्लाय होना जरूरी है। जब रक्त का प्रवाह कट ऑफ हो जाता है, स्पाइनल कार्ड को ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते है, जिससे उतकों को नुकसान पहुंचता है और वो क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। इसके कारण स्पाइनल कार्ड से गुजरने वाले संदेश (नर्व इम्पल्स) ब्लॉक हो सकते हैं। अधिकतर स्पाइनल स्ट्रोक रक्त के प्रवाह में ब्लॉकेज़ (आमतौर पर ब्लड क्लॉट्स) के द्वारा होता है। इसे इसचैमिक स्पाइनल स्ट्रोक्स कहते हैं। कुछ स्पाइनल स्ट्रोक्स ब्लीडिंग के कारण होते हैं, जिसे हैमरेज स्पाइनल स्ट्रोक्स कहते हैं।
स्पाइनल स्ट्रोक्स के लक्षण
स्पाइनल स्ट्रोक्स के लक्षण इसपर निर्भर करते हैं कि स्पाइनल कार्ड का कौन सा भाग प्रभावित हुआ है और स्पाइनल कार्ड को कितनी क्षति पहुंची है। अधिकतर मामलों में लक्षण अचानक दिखाई देते हैं, लेकिन कईं मामलों में ये लक्षण स्ट्रोक आने के कईं घंटों बाद भी दिखाई दे सकते हैं। लक्षणों में सम्मिलित है:
-अचानक और गंभीर गर्दन या कमर दर्द।
-पैरों की मांसपेशियां कमजोर हो जाना।
-बॉउल और ब्लैडर को नियंत्रित करने में परेशानी होना।
-मांसपेशियों में ऐंठन।
-सुन्नपन।
-हाथों और पैरों में झुनझुनी महसूस होना।
-लकवा मार जाना।
-गर्म या ठंडा न महसूस कर पाना।
स्पाइनल स्ट्रोक के कारण
स्पाइन को रक्त की आपूर्ति में रूकावट के कारण स्पाइनल स्ट्रोक आता है। अधिकतर समय, यह धमनियों के संकरा होने के परिणामस्वरूप होता है जो स्पाइनल कार्ड को रक्त की आपूर्ति करते हैं। धमनियां निम्न कारणों से संकरी या कमजोर हो जाती हैं:
-उच्च रक्तदाब।
-कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर।
-हृदय रोग।
-डायबिटीज।
-जो लोग धुम्रपान करते हैं, शराब का अधिक मात्रा में सेवन करते हैं, नियमित रूप से एक्सरसाइज नहीं करते हैं, उन्हें भी इसका अधिक खतरा होता है।
शरीर की गतिविधियां होती हैं प्रभावित
स्पाइनल स्ट्रोक कुल स्ट्रोक्स में से सिर्फ दो प्रतिशत होते हैं। इस स्ट्रोक के होने पर नर्व इम्पल्स (संदेश) भेजने में परेशानी होती है। ये नर्व इम्पल्स शरीर की गतिविधियों जैसे हाथों और पैरों को हिलाना और शरीर के अन्य अंगों के ठीक तरीके से कार्य करने और नियंत्रित करने का काम करते हैं।
ब्लीडिंग के कारण भी होती दिक्कत
अधिकतर स्पाइनल स्ट्रोक ब्लड सर्कुलेशन में ब्लॉकेज (आमतौर पर ब्लड क्लॉट्स) के द्वारा होता है। इसे इसचैमिक स्पाइनल स्ट्रोक्स कहते हैं। कुछ स्पाइनल स्ट्रोक्स ब्लीडिंग के कारण होते हैं, जिसे हैमरेज स्पाइनल स्ट्रोक्स कहते हैं। यह हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, हृदय रोगों, डायबिटीज के मरीजों को ज्यादा दिक्कत होती है। जो लोग धूम्रपान, शराब का सेवन करते हैं, नियमित व्यायाम नहीं करते हैं उन्हें भी खतरा अधिक होता है। स्पाइन में ट्यूमर, चोट लगने, स्पाइनल कॉर्ड दबने और पेट या हृदय की सर्जरी में यह दिक्कत होती है। स्पाइनल कॉर्ड सेंट्रल नर्वस सिस्टम (सीएनएस) का भाग है। इसमें मस्तिष्क भी सम्मिलित है। स्पाइनल स्ट्रोक्स, ब्रेन स्ट्रोक से कम होते हैं।